सूक्ष्म शिक्षण Micro Teaching में छात्राध्यापकों से पाठ योजना का निर्माण करवाया जाता हैं। वह शिक्षण करते हैं फिर अध्यापकों एवं छात्रों से प्रतिपुष्टि (Feedback) देने को कहा जाता हैं यह प्रक्रिया दुबारा दोहराई जाती हैं जिसे सूक्ष्म शिक्षण चक्र (Cycle of Micro Teaching) कहा जाता हैं। विभिन्न कौशल इस प्रकार हैं- श्यामपट्ट कौशल,पुनर्बलन कौशल,प्रस्तावना कौशल,व्याख्यान कौशल,उद्दीपन परिवर्तन कौशल।

सूक्ष्म शिक्षण की परिभाषा (Defination of Micro Teaching in Hindi)

1) एलेन महोदय के अनुसार – ” सूक्ष्म शिक्षण समस्त शिक्षण को लघु क्रियाओं में बाटना हैं।”

2) शिक्षा विश्वकोश के अनुसार – ” सूक्ष्म शिक्षण (Micro Teaching) वास्तविक निर्मित तथा अध्यापन अभ्यास का न्यूनीकृत अनुमाप है जो शिक्षक-प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम विकास व अनुसंधान में प्रयुक्त किया जाता हैं।”

3) पीक व टकर महोदय के अनुसार – ” सूक्ष्म शिक्षण विडियो टेप फीडबैक के प्रयोग से प्रमुख कौशलों के विकास को संकुचित रूप से जानने के लिए प्रयोगात्मक विधि की एक प्रणाली हैं।”

4) बी० के० पासी महोदय के अनुसार – ” सूक्ष्म शिक्षण (Micro Teaching) एक प्रशिक्षण तकनीक है जो छात्र-अध्यापकों से यह अपेक्षा रखती हैं कि वे किसी तथ्य को थोड़े से छात्रों को कम समय में किसी विशिष्ट शिक्षण कौशल के माध्यम से शिक्षण दें।”

5) बी० एम०शोर महोदय के अनुसार – ” सूक्ष्म शिक्षण कम अवधि, कम छात्रों तथा कम शिक्षण क्रियाओं वाली प्रविधि हैं।”

सूक्ष्म शिक्षण की विशेषता (Characteristics of Micro Teaching)

  • 1- यह कम समय में अधिक गुणवत्ता प्रदान करने की प्रविधि हैं।
  • 2- सूक्ष्म शिक्षण (Micro Teaching) एक व्यक्तिगत शिक्षण हैं।
  • 3- सूक्ष्म शिक्षण में एक समय में एक ही कौशल का विकास करने का लक्ष्य रखा जाता हैं।
  • 4- सूक्ष्म शिक्षण के अंतर्गत छात्रों की संख्या में कटौती करके 5-6 तक रखी जाती हैं।
  • 5- सूक्ष्म शिक्षण में समय की अवधि को कम करके 5 से 10 मिनट तक रखा जाता हैं।
  • 6- इसके अंतर्गत उचित एवं तत्काल प्रतिपुष्टि(Feedback) की व्यवस्था की जाती हैं।

सूक्ष्म शिक्षण की उपयोगिता (जाता हैं।

  • 5- इसके द्वारा छात्रों का वस्तुनिष्ट मुल्यांकन किया जाना संभव हैं।

सूक्ष्म शिक्षण में सावधानियां (Precautions in Micro Teaching)

  • 1- छात्राध्यापकों को शिक्षण शुरू करने से पूर्व पाठ योजना का निर्माण कर लेना चाहिए।
  • 2- एक समय में एक ही शिक्षण कौशल का विकास करना चाहिए।
  • 3- जब छात्राध्यापक शिक्षण कर रहे हो तो उनको उचित प्रतिपुष्टि(Feedback) और प्रसंशा करनी चाहिए जिससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हो।
  • 4- इसके द्वारा पाठ्यवस्तु को क्रमबद्ध तरीके के साथ व्यवस्थित करना चाहिए।
  • 5- सूक्ष्म शिक्षण में छात्राध्यापकों को उचित सुझाव ही देने चाहिए अन्यथा उनके मनोबल में कमी आ सकती हैं।


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Teaching Skills